मुट्ठी खोल By Nazm << जैसे फ़साना ख़त्म हुआ क़लम >> चारों तरफ़ अंधेरा है और उस की मुट्ठी में जुगनू हैं मैं कहता हूँ मुट्ठी खोल मुट्ठी खोल उजाला होगा सब बोले, वो मंज़र देखने वाला होगा वो कहता है मुट्ठी खोल आसमान पर चाँद न कोई सितारा है चारों तरफ़ अँधियारा है लेकिन मेरे हाथ में तो अँगारा है Share on: