ये मौजूदा तरीक़े राही-ए-मुल्क-ए-अदम होंगे नई तहज़ीब होगी और नए सामाँ बहम होंगे नए उनवान से ज़ीनत दिखाएँगे हसीं अपनी न ऐसा पेच ज़ुल्फ़ों में न गेसू में ये ख़म होंगे न ख़ातूनों में रह जाएगी पर्दे की ये पाबंदी न घूँघट इस तरह से हाजिब-ए-रू-ए-सनम होंगे बदल जाएगा अंदाज़-ए-तबाए दौर-ए-गर्दूं से नई सूरत की ख़ुशियाँ और नए असबाब-ए-ग़म होंगे न पैदा होगी खत-ए-नस्ख़ से शान-ए-अदब-आगीं न नस्तालीक़ हर्फ़ इस तौर से ज़ेब-ए-रक़म होंगे ख़बर देती है तहरीक-ए-हवा तबदील-ए-मौसम की खिलेंगे और ही गुल ज़मज़मे बुलबुल के कम होंगे अक़ाएद पर क़यामत आएगी तरमीम-ए-मिल्लत से नया काबा बनेगा मग़रिबी पुतले सनम होंगे बहुत होंगे मुग़न्नी नग़्मा-ए-तक़लीद यूरोप के मगर बेजोड़ होंगे इस लिए बे-ताल-ओ-सम होंगे हमारी इस्तलाहों से ज़बाँ ना-आश्ना होगी लुग़ात-ए-मग़रिबी बाज़ार की भाषा से ज़म होंगे बदल जाएगा मेयार-ए-शराफ़त चश्म-ए-दुनिया में ज़ियादा थे जो अपने ज़ोम में वो सब से कम होंगे गुज़िश्ता अज़्मतों के तज़्किरे भी रह न जाएँगे किताबों ही में दफ़्न अफ़्साना-ए-जाह-ओ-हशम होंगे किसी को इस तग़य्युर का न हिस होगा न ग़म होगा हुए जिस साज़ से पैदा उसी के ज़ेर-ओ-बम होंगे तुम्हें इस इंक़िलाब-ए-दहर का क्या ग़म है ऐ 'अकबर' बहुत नज़दीक हैं वो दिन कि तुम होगे न हम होंगे