नज़्म By Nazm << एक सिगरेट थी तुम्हें प्यार है, तो यक़ी... >> न तू हीर न मैं राँझा न मैं मजनूँ न तू लैला फिर हम सच क्यों बोलें क्या तुम ने सच्ची बातें कहने वालों को सुखी देखा है मैं ने तो उन को जनम जनम से दुखी देखा है Share on: