वो समुंदर के पार रहता है और दिल बे-क़रार रहता है उस की बातें जो याद आती हैं दिन ढले तक हमें सताती हैं रात-भर इक ख़ुमार रहता है वो समुंदर के पार रहता पय शहर मातम-कुनाँ है तेरे बग़ैर दश्त भी बे-अमाँ है तेरे बग़ैर हर शजर सोगवार रहता है वो समुंदर के पार रहता है दोस्ती बन गई सज़ा जैसे और हो आप की अता जैसे हर करम का शुमार रहता है वो समुंदर के पार रहता है रास्ता इक तवील हसरत थी तेरे आने की दिल में चाहत थी मंज़िलों का ग़ुबार रहता है वो समुंदर के पार रहता है