शाएरी एक मोजज़ा है जो ज़ख़्मों को फूलों में तब्दील कर देती है शायद मैं ने ग़लत कहा क्यूँकि ये फूल कोई वाज़ेह शक्ल इख़्तियार नहीं कर पाते इन का कोई रंग नहीं होता इन से कोई ख़ुश्बू नहीं निकलती इन को नज़्मों की किताब में नहीं रक्खा जा सकता महबूबा को नहीं दिया जा सकता दोस्तों को नहीं भेजा जा सकता टाउन-हॉल में इन की नुमाइश नहीं की जा सकती कोई बैंक हर रोज़ इन की क़ीमत-ए-ख़रीद या क़ीमत-e-फ़रोख़्त जारी नहीं करता हर क़िस्म के जज़्बे से आरी ये फूल इंसानी तारीख़ में कोई नुमायाँ मक़ाम हासिल नहीं कर पाएँगे कोई इन्हें ख़्वाबों में नहीं देखेगा ये किसी सड़क के किनारे नहीं खेलेंगे इन्हें कोई कश्ती में भर के नहीं ले जाएगा बग़ैर किसी मौसम के फूटने वाले ये फूल शाएरी का मोजज़ा हैं आग मिट्टी हवा और पानी की शायद इन्हें ज़रूरत ही नहीं पड़ती ये इंसान की आवाज़ के साथ नश्व-ओ-नुमा पाते हैं इंसान की ख़ामोशी में हमेशा ज़िंदा रहते हैं इंसानी लम्स से जिला पाने वाले ये शाहकार इंसान की तरह फ़ना नहीं किए जा सकते हथियारों की मदद से मुतअस्सिर नहीं किए जा सकते शाएरी एक मोजज़ा है जो ज़ख़्मों को फूलों में या किसी भी चीज़ को किसी चीज़ में बदल सकता है ज़िंदा रख सकता है