हमें एक दरख़्त को सर-बुलंद करना चाहिए वो बैटरी से चलने वाले आरे ले कर, बे-शुमार मज़दूर ले कर उसे काटने आए हैं वो चौबीस पहियों वाला ट्रक ले कर उसे जंगल की हुदूद से बाहर ले जाने आए हैं वो कंटेनरों से भरा जहाज़ ले कर इस की शाख़ें, पत्ते, तना और जड़ें समुंदरी रास्ते से अपने हेडक्वार्टर तक ले जाने आए हैं हमें जिस दरख़्त को सर-बुलंद करना है उस की हवा, पानी और ज़मीन छीनी जा चुकी है उस के परिंदे और धूप छीनी जा चुकी है उस का साया और ख़्वाब छीने जा चुके हैं सिर्फ़ मोहब्बत बाक़ी है जिस की मदद से हम अपने दिल को इस की ज़मीन अपनी आँखों को इस की जड़ें और अपने बाज़ुओं को उस की शाख़ें बना देंगे उसे सहारा देंगे और हमेशा सर-बुलंद रखेंगे