ऐ अम्मी जान आई हूँ तेरे हुज़ूर आज इक बात है जिसे मैं कहूँगी ज़रूर आज ये बात सोच सोच के रोती रही हूँ मैं और हार आँसुओं के पिरोती रही हूँ मैं बाजी मुझे शरीर कहे बार बार क्यों अब्बा से और आप से पड़ती है मार क्यों इक बात पूछनी है अगर कहिए पूछ लूँ अम्मी मुझे शरीर समझती हैं आप क्यों नन्ही का लड्डू मैं ने चुराया तो क्या हुआ खाने ही के लिए था जो खाया तो क्या हुआ इस बात पर बताइए बिगड़ी हैं आप क्यों और कर के लाल आँखें झिड़कती हैं आप क्यों