जब देखो तो पास खड़ी है नन्ही जा सो जा तुझे बुलाती है सपनों की नगरी जा सो जा ग़ुस्से से क्यूँ घूर रही है मैं आ जाऊँगा कह जो दिया है तेरे लिए इक गुड़िया लाऊँगा गई न ज़िद करने की आदत तेरी जा सो जा नन्ही जा सो जा इन काले दरवाज़ों से मत लग के देख मुझे उड़ जाती है नींद आँखों से पा कर पास तुझे मुझ को भी सोने दे मेरी प्यारी जा सो जा नन्ही जा सो जा क्यूँ अपनों और बेगानों के शिकवे करती है क्यूँ आँखों में आँसू ला कर आहें भरती है रोने से कब रात कटी है दुख की जा सो जा नन्ही जा सो जा