नक़्क़ाद से मिलना है ख़तरनाक कि हर-दम वो हालत-ए-तबख़ीर-ए-तख़य्युल में मिलेगा दिन रात वो इक ख़ास अकड़फूँ की अदा से ज़ेहनिय्तय-ए-माकूस के फ़र्ग़ुल में मिलेगा बस एक ही महवर पे वो नाचेगा हमेशा जब देखिए गिर्दाब-ए-तक़ाबुल में मिलेगा कैफ़िय्तय-ए-क़ब्ज़ उस की तबीअ'त में रहेगी ज़ेहन उस का मज़ाफ़ात-ए-तअत्तुल में मिलेगा लैला-ए-सुख़न पास फटकने जो न देगी उलझा हुआ तन्क़ीद के काकुल में मिलेगा कव्वों के सुख़न पर वो तक़ारीज़ लिखेगा और मज़हका-ए-नग़्मा-ए-बुलबुल में मिलेगा या रात को बिस्तर पे वो बैठा हुआ उकड़ू पेंसिल लिए तन्क़ीस-ए-तग़ज़्ज़ुल में मिलेगा