नौहा By Nazm << कल क्या होगा ईद की अचकन >> नौहा उन का नहीं गुज़र गए जो ज़िंदगी की उदास राहों से फेंक कर बोझ अपने काँधों का नौहा उन का जो अब भी जीते हैं दर्द को ज़िंदगी बनाए हुए मरने वालों का बोझ उठाए हुए Share on: