ये रंग-ओ-बू ये नज़ारे ये बज़्म-आराई नियाज़-ओ-नाज़-ओ-अदा हुस्न इश्क़ रा'नाई शबाब-ए-नज़्म-ओ-ग़ज़ल, दर पै-ए-शकेबाई मुझे ये साअत-गुज़राँ कहाँ पे ले आई क़रार देख लिया इज़्तिरार देख लिया ग़म-ए-हबीब ग़म-ए-रोज़गार देख लिया उदास चेहरों पे उड़ता ग़ुबार देख लिया नवा-ए-शौक़ को बे-इख़्तियार देख लिया ख़िज़ाँ-गज़ीदा सा रंग-ए-बहार देख लिया गुमाँ-दरीदा यक़ीन तार तार देख लिया तमाम इश्वा-ए-हुस्न-ए-निगार देख लिया जुनूँ का सज्दा सर-ए-कू-ए-यार देख लिया सवाद-ए-अक़्ल-ओ-ख़िरद बे-वक़ार देख लिया रहा न ख़ुद का भी फिर ए'तिबार देख लिया कभी जो देखा न था बार बार देख लिया न इब्तिदा की ख़बर है न इंतिहा मा'लूम नविश्ता-ए-पस-ए-दीवार क्या है क्या मा'लूम