नया दिन By Nazm << वोट ऑफ़ थैंक्स नया शिवाला >> सूरज! इक नट-खट बालक-सा दिन भर शोर मचाए इधर उधर चिड़ियों को बिखेरे किरनों को छितराए क़लम दरांती ब्रश हथौड़ा जगह जगह फैलाए शाम! थकी हारी माँ जैसी इक दिया मलकाए धीमे धीमे सारी बिखरी चीज़ें चुनती जाए Share on: