नया मकान By Nazm << रात शहर और उस के बच्चे तख़्लीक़ >> नए इम्काँ को सूरत दे रहा हूँ गिरा कर ख़ुद दर-ओ-दीवार अपने मैं अपने घर को वुसअत दे रहा हूँ Share on: