मरने और मारने वाले एक ही क़बीले से थे ख़ुश हो कर तालियाँ बजाने वाले सफ़ेद बुर्राक़ कपड़े पहने हुए थे मातम करने वाले ज़िंदगी से भागे हुए दो बुज़दिल लोग थे जो एक लफ़्ज़ को सहीह जगह पर रखने के लिए घंटों परेशान रहते थे ब-हर-हाल तय हुआ कि आलम-ए-इंसानियत को बुज़दिलों से पाक किया जाए वर्ना निगेटिविटी फैलती रहेगी