जेब कटने के ब'अद Admin चुपके चुपके शायरी, Nazm << जनरल-साहिब की नाक जज़्बा-ए-बे-कराना >> मिरे कुर्ते की बूढ़ी जेब से कल तुम्हारी याद!! चुपके से निकल कर सड़क के शोर-ओ-गुल में खो गई है बड़ी बस्ती है किस को फ़िक्र इतनी! कि किस खोली में कब से तीरगी है यहाँ हर एक को अपनी पड़ी है Share on: