निगार-ख़ाना By Nazm << वो लड़की ख़ुद-कुशी से पहले >> किसी की शरबती नज़र कोई महकता पैरहन दमकती सुर्ख़ चूड़ियाँ चमकता रेशमी बदन कई झुके झुके शजर हरे बनों में घूमती कोई उदास रहगुज़र हिना के रंग में बसे किसी नगर के बाम-ओ-दर रहेंगे याद उम्र-भर Share on: