काश तुम्हें न देखा होता दिल में ग़म के फूल न खिलते होंटों पे फ़रियाद न होती तन्हाई के दर्द न मिलते अपनी हस्ती बार न होती मरने का अरमान न होता साँस भी इक तलवार न होती काश तुम्हें न देखा होता आज इतने मजबूर न होते सब लोगों से उल्फ़त करते और ख़ुदा से दूर न होते काश तुम्हें न देखा होता