पहेली By Nazm << क़ैद मक़्सदियत >> एक समुंदर उस में रक्खे चंद जज़ीरे बीच में जिन के दूरी की नीलाहट रक़्साँ रब्त-ए-बाहम बस पानी की अंधी लहरें या तूफ़ानी हवा के झक्कड़ सुना है एक जज़ीरे पर कोह-ए-जूदी है हम औलाद-ए-नूह तो हैं पर नाव बनाने का सारा फ़न भूल चुके हैं Share on: