ज़िंदा-दिल पंजाब के बेटो तुम्हें मेरा सलाम तुम परस्तार-ए-गुरू-नानक फ़िदा-ए-कृष्न-ओ-राम ये तुम्हारा देस राजा द्रुप्द का पंचाल देस हाँ वही रणजीत-सिंह के दौर का ख़ुश-हाल देस नाम-लेवा जिन के तुम हो उन की सीरत बे-मिसाल उन की जुरअत बे-मिसाल उन की शुजाअ'त बे-मिसाल इस में शेर-ओ-शायरी है इस में रक़्स-ओ-रंग भी हीर वारिस-शाह की भी है रबाब-ओ-चंग भी वीर-सिंह और अमृता-प्रीतम यहाँ माहिर यहाँ 'अर्श' 'अख़्तर' 'जोश' और 'महरूम' से शाइ'र यहाँ शीर-ए-गुल के मू-क़लम से ख़ामा-ए-मानी ख़जिल इस की तस्वीरों में है बेताब पंजाबन का दिल लाजपत-राय यहीं जाम-ए-शहादत पी गए जाने कितने क़ौम की ख़ातिर मरे और जी गए सर-ज़मीन-ए-हिंद का ये बाज़ू-ए-शमशीर-ज़न जिस के मरदान-ए-जरी हैं शो'ला-बार-ओ-सफ़-शिकन खेतियों में जिस के बरकत जिस के खलियानों में नूर जिस के बाग़ों में इरम बस के पहाड़ों पर है तूर जिस के मर्द-ओ-ज़न का हिस्सा-ए-ख़ूब-रूई का जलाल जिन के चेहरों पर छिड़कती है तवानाई गुलाल भाकड़ा-नंगल की जिस ने बे-बदल ता'मीर दी अपने फ़रज़न्दों को जिस ने ख़ूबी-ए-तदबीर दी जो मसाइब इस ने झेले हैं उन्हें झेलेगा कौन खेल जो हिम्मत के खेले उस ने वो खेलेगा कौन ज़ख़्म जिस ने अपने सीने पर लिया तक़्सीम का चाक जिस ने अपने हाथों से सिया तक़्सीम का हाँ उसी ख़ुश-वक़्त ख़ाक-ए-पाक के बेटे हो तुम में न मानूँगा कि अक़्ल-ओ-फ़हम के हेटे हो तुम मैं न मानूँगा कुदूरत फ़ितरत-ए-पंजाब है मेरा ना'रा है मोहब्बत फ़ितरत-ए-पंजाब है