रद्द-ए-अमल By Nazm << मगर मेरी आँखों में दुनिया में जन्नत >> दूर जंगल के घने पेड़ों पर शाम के सुरमई अँधेरे में जब भी पंछी पलट के आते हैं मेरा तन्हा उदास व्याकुल मन ग़म के साए में डूब जाता है Share on: