ज़मीं से फ़लक तक आख़िरी झलक तक मरासिम दिलों के बे-नाम मंज़िलों के ख़लाओं से गुफ़्तुगू अपनी ही जुस्तुजू चाहतों के सिलसिले सदियों के मरहले और छोर से नहीं कोई क़ाफ़िले ही क़ाफ़िले इंसानी जिस्मों के तहज़ीबी क़समों के हर जिस्म एक तिलिस्म है हर तिलिस्म एक दिल है इस दिल के राज़ समझना बाक़ी हैं अभी