कोई मस्त-ए-बादा-ओ-जाम है कोई महव-ए-रक़्स-ओ-ख़िराम है कोई सर्फ़-ए-शेर-ओ-कलाम है कोई महव-ए-तेग़-ओ-नियाम है मुझे दो न रंग की दावतें मिरे दिल की आँख में राम है मुझे कोई रोग सताए क्यूँ मुझे कोई रंज रुलाए क्यूँ मिरे दिल को आग जलाए क्यूँ मिरी ख़ाक चर्ख़ उड़ाए क्यूँ मुझे ख़ौफ़-ए-गर्द-ए-अलम नहीं मिरे दिल की आँख में राम है न है आँख को कोई जुस्तुजू न है क़ल्ब को कोई आरज़ू न है ज़ौक़-ए-सैर-ए-बहार-जू न है शौक़-ए-शोहरत-ए-कू-ब-कू मिरा दिल दलील-ए-बहिश्त है मिरे दिल की आँख में राम है है चमन को ख़्वाहिश-ए-रंग-ओ-बू है गुहर को ख़्वाहिश-ए-आबरू है घटा को बर्क़ की जुस्तुजू है हवा को साँस की आरज़ू मुझे आरज़ू है न जुस्तुजू मिरे दिल की आँख में राम है न शरार-ए-फ़िस्क़-ओ-फ़ुजूर है न हवा-ए-किब्र-ओ-ग़ुरूर है न फ़रेब है न फ़ुतूर है मिरे घर में नूर ही नूर है मिरे दिल से पूछ न हम-नशीं मिरे दिल की आँख में राम है कहा फूल ने मुझे फूल कर मिरे आब-ओ-रंग पे कर नज़र मिरी आब आब-ए-हयात-असर मिरा रंग रंग-ए-वफ़ा-समर मिरी ज़ौ बहार-ए-निगाह है मिरी बू बहार-ए-मशाम है कहा मैं ने हँस कि ऐ बे-ख़बर न बहार-ए-हाल पे नाज़ कर तिरी आब आब-ए-सराब-असर तिरा रंग रंग-ए-फ़ना-समर मिरी ज़िंदगी को दवाम है मिरे दिल की आँख में राम है