रेत सहरा नहीं, रेत दरिया नहीं रेत बस रेत है मैं फ़क़त मैं हूँ और मेरी तस्वीर पर जो है मज़कूर पहचान मेरी नहीं मुझ में कितना अज़ल मुझ में कितना अबद, कितनी तारीख़ है मैं नहीं जानता ऐसे दिन रात को दिल नहीं मानता, पोर पर जिन की गिनती ठहरती नहीं आज बस आज है कल सहर तक यही आज ताराज है