रिवायत By मज़दूर, Nazm << मेरे बाद आ शाम से ता-ब-सहर कितने सित... >> किसान दरांती से फ़स्ल काटते हैं और मज़दूर उन्हें तराज़ू में तोलते हैं तिजारत और नफ़अ' उन के हिस्से में आता है जो ख़्वाब देखते हैं न दीप जलाते हैं Share on: