सभी चल रहे थे कोई सामने और कोई पीछे कोई साथ साथ सभी चल रहे थे कोई ये तय कर के चल रहा था कि कहाँ जाना है कोई यूँ ही साथ हो लिया था कोई किसी को ढूँडने निकला था सभी चल रहे थे शम्अ' की तरह मोमी वजूद रौशन रखे हुए कोई कहाँ छूटा कोई कहाँ रह गया किस को क्या मिला किसी को ख़बर न थी सभी चल रहे थे उस गहरी ख़ंदक़ की ओर जिस में सब की आत्माएँ सदियों से पड़ी सूख रही हैं