मुझे सुनो और मेरा यक़ीन करो मेरा वतन इंसाफ़ के नग़्मों का प्यासा है तुम्हें मेरा यक़ीन हो तो आओ हम एक नया नुस्ख़ा तय्यार करें जब अब्ना-ए-वतन उल्टे लटकाए जा रहे हों ख़ामोशी के साथ नए दिनों की शुरूआ'त मुमकिन नहीं मुझे अफ़सोस है मैं ने कुछ राक्शस देखे हैं वो मुझ से ज़ियादा ख़ूबसूरत हैं और ख़ुश-नसीब वो सुने जाते हैं लाखों की तादाद में हज़ार चेहरों के मालिक हैं वो मगर हैरत-अंगेज़ हैं वो लोग जो बग़ैर आँखों वाले हैं वो कभी भी देख सकते हैं शायद मैं ने ख़िज़ाँ-रसीदा पेड़ों को लम्बे अर्से तक ज़मीं-बोस होते देखा है मैं ने एहतिजाज के लिए जिस दिन का तअ'य्युन किया था लोगों ने उसे एक इस्ति'माल शुदा कपड़े की तरह धुलने के लिए परे रख दिया है अगर तुम्हें यक़ीन है तुम गीत गा सकते हो तो तुम्हें लफ़्ज़ों पर पड़ी ज़ंजीरों की शनाख़्त करनी होगी अगर सही देखना चाहते हो तुम लेंस पर पड़ी गर्द हटानी होगी सूरत-ए-हाल इस क़दर मायूस-कुन भी नहीं जब इंसाफ़-गाहों के अनगिनत दरवाज़े हों और हमें सही दरवाज़े तक पहुँचना है तो एक सिलेटी आसमान के नीचे शाना-ब-शाना एक लम्बा फ़ासला तय करना होगा और मैं यक़ीन दिलाता हूँ ये फ़ासला हैरत-अंगेज़ वाक़िआ'त से पुर है