साल-ए-नौ ३ By Nazm << ज़िंदगी तो नाम है उस मौत ... साल-ए-नौ २ >> नए साल का बूढ़ा सूरज अपनी आँखें शब के ग़ार में भूल आया है या शब के ग़ार की आँखें नए साल के बूढ़े सूरज को भूल आई हैं या मेरी आँखें नए सूरज के अंधे ग़ार में ख़ुद को भूल आई हैं Share on: