नया दिन है नए अंदाज़ से महफ़िल में जाम आए कि साग़र की खनक में ज़ौक़-ए-मस्ती का पयाम आए कि साग़र की खनक में ज़ौक़-ए-मस्ती का पयाम आए मिरे यास-आफ़रीं दिल में नई उम्मीद पैदा हो शिकस्त-ए-तौबा भी हम-रंग-ए-तज्दीद-ए-तमन्ना हो मिरी अफ़्सुर्दगी छुप जाए होंटों के तबस्सुम में सुकूत-ए-ज़िंदगानी जज़्ब हो जाए तरन्नुम में रगों में ख़ून के बदले मय-ए-दो-आतिशा भर दे सदा-ए-ज़िंदगानी को हदीस-ए-रंग-ओ-बू कर दे ख़िज़ाँ-ना-आश्नाई हो बहार-ए-नौजवानी में हयात-ए-जावेदानी के मज़े हों ज़िंदगानी में मुझे ले जाए मंज़िल ही की जानिब लग़्ज़िश-ए-पा भी कि बे-होशी के पर्दे में रहे होश-ए-तमन्ना भी उठा साग़र कि फिर बाब-ए-तमन्ना बाज़ है साक़ी उठा साग़र कि दुनिया का नया अंदाज़ है साक़ी