सराब By Nazm << लफ़्ज़ कौन हूँ मैं >> मैं आहट पे चौंका भला कौन होगा दरीचे से बाहर को झाँका कहीं कुछ नहीं है वाहिमे ने मिरे आज फिर मुझ को बहला दिया Share on: