दम-साज़ हज़ार दास्ताँ है ये सोज़-ओ-गुदाज़ का जहाँ है नैरंग-ए-सुरूर-ओ-शादमानी हर बोल में इक नई कहानी हर तान पे अक्स आरज़ू का बे-लफ़्ज़ मज़ा है गुफ़्तुगू का हर सुर की सदा खनक रही है लहजे में धनक लचक रही है धीमी सद-रंग आँच लय की ज़िंदा तस्वीर कैफ़-ए-मय की पर्दों से निकल के मौज-ए-सरगम ख़्वाबों को जगा रही है पैहम आवाज़ के ज़ेर-ओ-बम से मिल के लर्ज़ां हैं तमाम तार दिल के रागों के जो दौर चल रहे हैं यादों के चराग़ जल रहे हैं रखता है निशात-ओ-ग़म पे क़ाबू संगीत का बे-पनाह जादू संगीन समाँ बदल गया है हर दर्द ख़ुशी में ढल गया है