सरगोशी By बोल्ड पोयम, Nazm << सोला दिसम्बर सारा शगुफ़्ता >> रात पर निगाह रहे! ये हमारे साए चुराने आई है मगर चराग़ की लौ किस ख़ौफ़ से काँप रही है? आओ उसे अपने लम्स का हौसला दें वर्ना बदन तो हमारे लम्स बासी कर देते हैं ऊँ हूँ कपड़े नहीं, बदन उतार कर आओ देखूँ तो मेरी रूह पर तुम्हारा बदन पूरा भी आता है? Share on: