अख़बारों ने शोर मचाया सर्कस आया सर्कस आया फिर सर्कस की धूम मची है शोहरत उस की ख़ूब हुई है गलियों गलियों शोर है उस का हर जानिब फिर ज़ोर है उस का घर घर है सर्कस का चर्चा मचल पड़ा है बच्चा बच्चा आओ बच्चो सर्कस देखें अब के कितना है रस देखें कौन है कितना चौकस अब के कौन है कितना बेबस अब के सूट पहन कर हाथी आए घोड़े बन कर साथी आए हिरनी भी सज धज के आई आ कर दूल्हन सी शर्माई कार चलाते चीते देखो सिगनल देते तोते देखो डांस गधे दिखलाने आए टट्टू बैंड बजाने आए शेर पे बकरी झपट रही है तख़्ता उस का उलट रही है चूहे ने बंदूक़ चलाई देख के बिल्ली भी घबराई बंदर क्रिकेट खेल रहे हैं रीछ की बैटिंग झेल रहे हैं जोकर का मेक-अप तो देखो लुत्फ़ भरी गप-शप तो देखो कैसे सब को हँसा रहे हैं क्या क्या कर्तब दिखा रहे हैं जम्प लगाते ख़ूब ये लड़के नहीं ज़रा भी मौत से डरते फ़न में हर लड़की है माहिर आग से गुज़री पेट की ख़ातिर नए नए जब कर्तब देखो ख़ूब बजाओ ताली बच्चो खेल अनोखा है सर्कस का काम नहीं ये सब के बस का टोली ये फ़नकारों की है दाद 'फ़राग़' अंकल से ली है