शाएरा भी थी ख़तीबा भी सियासत-दाँ भी थी नौजवानान-ए-वतन की तू चहेती माँ भी थी तू रही साज़-ए-मोहब्बत पर हमेशा नग़्मा-ख़्वाँ है अमर तू आज भी ऐ बुलबुल-ए-हिन्दुस्ताँ मादर-ए-हिन्दोस्ताँ का तुझ से क़ाएम है वक़ार तबक़ा-ए-निसवाँ को तेरी ज़ात वज्ह-ए-इफ़्तिख़ार हिन्द की तहरीक-ए-आज़ादी में तेरा नाम है क़ाबिल-ए-तक़लीद तेरा वो मिसाली काम है जज़्बा-ए-इंसानियत से दिल तिरा मा'मूर था तेरे चेहरे से अयाँ रूहानियत का नूर था तेरे नग़्मों की लताफ़त वो तिरे दिल का गुदाज़ कैसी पुर-तासीर थी तेरी नवा-ए-दिल-नवाज़ हर तरफ़ जादू जगाती थीं वो तक़रीरें तिरी सच्चे मोती रोलती रहती थीं तहरीरें तिरी