नज़्म कौन लिखता है वो जो मलाल में मुब्तला है या वो जो जश्न मनाना भूल गया हमारे पास तुम्हारी दी हुई सौग़ात है बरसों पुरानी हम ने उसे पुराने सामान के साथ सैंत के रक्खा है दूसरों की नज़रों से छुपा कर कोई देखेगा नहीं कोई नहीं हम जानते हैं अगर हम नहीं भी जानते फिर भी ये तो ख़ुफ़िया वारदात है ये वो नहीं है जैसे तुम कूड़े के ढेर से उठा लो चंद रोटी के टुकड़ों के लिए मलाल की कितनी क़िस्में हैं गिनोगे तो गिनते रह जाओगे हम जिस आबादी में रहते हैं ये वहाँ की पहचान है उसे हम ने अपने बच्चों की पहुँच से दूर रखने की पूरी कोशिश की ये सोच कर कि वो क्या सोचेंगे किस थाली में खाएँ