हो गई शाम और सूरज डूबा पच्छिम में है आग का गोला रंग शफ़क़ से ऐसा बरसा सुर्ख़ हुए जंगल और दरिया रंग तिरा है शाम का दामन फूल बना है शाम का दामन वाह शफ़क़ क्या रंग भरी है सुर्ख़ परी है सुर्ख़ परी है शाम की गोदी में बैठी है लाल चंदरिया ओढ़ रही है इस को अपने पास बुला लूँ अपनी सहेली उस को बना लूँ आ मेरी रंगीन शफ़क़ आ आ जा मेरी गोद में आ जा रंग तिरा है कितना प्यारा जैसे हो अम्माँ का दुपट्टा ऐ मलिका ऐ शाम की बेटी रंगों की तू है शहज़ादी टब में पानी ख़ूब भरा है अब्बा ने ये भरवाया है इस में तेरा रथ उतरा है चाँद तिरा रथ खींच रहा है रोक ले रथ को और उतर आ आज सहेली मेरी बन जा