शहर By Nazm << शहर की आँखों में सहर के उफ़ुक़ से >> शहर आसूदा ज़ेहनों की आमाजगाह है तो फिर साहिबो क्यूँ दरख़्तों को कटवा दिया और इन की जगह आज हर सम्त वीरान ख़ाली इमारात के सिलसिले हैं फ़क़त Share on: