सीढ़ियाँ By Nazm << उन्हें कह दो फ़र्जाम >> सीढ़ियाँ सीढ़ियाँ इक हथेली से दीवार तक और दीवार से गीले आकाश तक देखते देखते जम से ना'श तक अब तो उकता गईं रीढ़ की हड्डियाँ फिर भी इन सीढ़ियों से गुज़रती चली जा रही हैं कई पीढ़ियाँ Share on: