किसी क़साई ने इक हड्डी छील कर फेंकी गली के मोड़ से दो कुत्ते भौंकते उठ्ठे किसी ने पाँव उठाए किसी ने दुम पटकी बहुत से कुत्ते खड़े हो कर शोर करने लगे न जाने क्यूँ मिरा जी चाहा अपने सब कपड़े उतार कर किसी चौराहे पर खड़ा हो जाऊँ हर एक चीज़ पे झपटूँ घड़ी घड़ी चिल्लाऊँ निढाल हो के जहाँ चाहूँ जिस्म फैला दूँ हज़ारों साल की सच्चाइयों को झुटला दूँ