सुब्ह-दम By Nazm << गर्लफ्रेंड मा-बा'द-उत-तबीआत >> सुब्ह-दम उस की आँखों में ढलती हुई रात का नश्शा-ए-वस्ल है जिस्म जैसे कि इक लहलहाती हुई फ़स्ल है Share on: