ख़ूब है ये चाँदी का पिंजरा इस में तू आ मुन्नी सी चिड़िया पिंजरे में है सोने की प्याली इस में तू खाना दाना पानी पहले खिलाउँगा तुझ को दाना खाऊँगा फिर मैं अपना खाना ठंडा पानी दूँगा तुझ को ठंडी हवा में रखूँगा तुझ को बिल्ली के पंजों से बचा कर तुझ को टाँगूँगा खूँटी पर चिड़िया सुन के ये बातें चिड़िया बोली करते हो बातें कैसी भोली मैं नहीं इस पिंजरे में आती क़ैद नहीं ये मुझ को भाती हैं सोने की प्याली से अच्छे दरिया नदी नाले हमारे प्यास है मुझ को जिस दम लगती पानी पर हूँ आन उतरती पीती हूँ पानी और नहाती फुर से हूँ मैं फिर उड़ जाती सोने की थाली में क्या है ख़ाक पे मेरा चोगा उगा है पैदा किए हैं खेत ख़ुदा ने चुगती हूँ इस से ताज़ा दाने चाँदी के पिंजरे से बढ़ के मेरे लिए हैं चाँद और तारे है मिरा अल्लाह मेरा निगहबान मुझ को बचाता है वो हर आन अब रख दो पिंजरे को ठिकाने जाती हूँ मैं चोगा चुगाने