यही होता रहा है और यही होता रहेगा कि हर सुक़रात को हाथों से अपने ज़ह्र पीना पड़ेगा कि सच्चाई का हासिल इस जहाँ में सिवाए मौत के कुछ भी नहीं है मगर ये भी हक़ीक़त है मुकम्मल कि सच्चाई कभी मरती नहीं है कि हर सुक़रात मर जाने से पहले हज़ारों हक़-परस्तों को जहाँ में सदाक़त के लिए मरने की हिम्मत सौंप जाता है