एक था राजा एक थी रानी कौन सुनाए अब ये कहानी अब न शेर को जाल में पकड़े और न चूहा जाल को कतरे और न जीते बाज़ी कछवा और न रहे ख़रगोश भी सोता चाँद की बुढ़िया चली गई है सूत कातना छोड़ चुकी है हातिम-ताई और अली-बाबा सखी सख़ावत और मरजीना कोई सुनाता नहीं कहानी न तो दादा और न नानी ख़त्म हुए सब जादू टोने क़िस्से परियों के भूतों के हर दम टीवी पेश-ए-नज़र है अब दुनिया का हाल दिगर है टीवी में कार्टून आते हैं बच्चों का दिल बहलाते हैं