किसी ने कहा कैसी पत्थर दिल है तू क्या ये कब हुआ नहीं तो इस दिल पर कुछ लगे चीख़ उठता है रोता है ख़ून बहाता है यक़ीनन पत्थर तो ऐसा नहीं करता या पत्थर की तबीअ'त में भी बदलाव आया है बदलाव उस मौसम की तरह बदलाव उस की बातों की तरह बदलाव उस मुक़फ़्फ़ल पड़े घर की तरह जो कभी झूमता था इक परिवार के होने से बदलाव जो इक रोते शख़्स को हँसा दे और हँसते को रुला दे बदलाव इस बदलाओ की तरह जो सब बदल दे ये कैसा बदलाव पत्थर पत्थर ही है या बदल गया मेरा दिल दिल ही है या बदल गया कोई तो है जो बदल गया मैं मैं ही हूँ या