सच बताओ जो किताबों में लिखा है क्या वो सब तुम ने कहा है जब अज़िय्यत जिस्म से रिसने लगेगी जब दुआ को उठने वाले हाथ शल होने लगेंगे और शल होते हुए हाथों को काट डाला जाएगा शानों से मेरे जब सना की सौत फूँक डालेगी लबों को आरज़ू में आबलों सी आँखें नेज़े फोड़ देंगे और गला बंजर ज़मीं सा कुछ न देगा दस्त-ए-सदा में काट डालेगा कोई सर धड़ से मेरा तुम सिमट कर रंग-ओ-बू में ख़ाक-ओ-ख़ूँ में सूर फूँकोगे कुन कहोगे क्या तुम्हारा ही कहा है जो किताबों में लिखा है सच बताओ