तज्ज़िया By Nazm << नज़्र-ए-ख़ालिदा उर्दू >> आज जिस तनाज़ुर में काएनात को देखा हर तरह मुकम्मल थी पहले इतनी शिद्दत से कब ख़याल आया था इस क़दर अकेला हूँ Share on: