तंहाई By वक़्त, तन्हाई, Nazm << तिलिस्मी ग़ार का दरवाज़ा तंग तारीक गली में कुत्ता >> वो आँखों पर पट्टी बाँधे फिरती है दीवारों का चूना चाटती रहती है ख़ामोशी के सहराओं में उस के घर मरे हुए सूरज हैं उस की छाती पर उस के बदन को छू कर लम्हे साल बने साल कई सदियों में पूरे होते हैं वो आँखों पर पट्टी बाँधे फिरती है Share on: