तन्हाई By Nazm << रौ में है रख़्श-ए-उम्र तमाशा-गह-ए-लाला-ज़ार >> अँधेरी रात की इस रहगुज़र पर हमारे साथ कोई और भी था उफ़ुक़ की सम्त वो भी तक रहा था उसे भी कुछ दिखाई दे रहा था उसे भी कुछ सुनाई दे रहा था मगर ये रात ढलने पर हुआ क्या हमारे साथ अब कोई नहीं है Share on: