तस्कीन By Nazm << तसव्वुर सेल्फ-पोर्ट्रेट >> इक मुहक़क़िक़ ने इंसान को बुज़ना जब कहा मैं वहीं सज्दा-ए-शुक्र में गिर गया अपनी कोताहियों, ख़ामियों के लिए आफ़रीनश से अब तक जो शर्मिंदा था आज वो बोझ, बारे ज़रा कम हुआ Share on: