तेरे जमाल की दोशीज़गी की क़ौस-ए-क़ुज़ह निगाह महबत-ए-इदराक में न क्यूँ रख लूँ ज़माना-साज़ हूँ मैं आइना सिफ़त हूँ मैं है वक़्त पीछे मिरे मैं जहाँ जिधर निकलूँ भँवर भँवर मुझे देता है वुसअ'त-ए-अफ़्कार हिसार-ए-शोर-ओ-तलातुम में कब तलक मैं रहूँ कशाकश-ए-ग़म-ए-हस्ती मुझे इजाज़त दे कुंवारे-पन की हथेली पे तेरा नाम लिखूँ वो एक नाम फ़लक-आश्ना हयात-आगीं मैं अपनी साँसों में पैहम रवाँ-दवाँ देखूँ