तेरी संग By Nazm << नए नज़रिये की तख़्लीक़ कुछ देर पहले नींद से >> ज़ुल्फ़ों की ख़ुशबू अंदर तक उतर रही है हवाएँ सरसरा रही हैं हड्डियों ही कोई राग बज रहा है ये तबला ख़ामोश है बहुत सावन की फूहारों की थाप तेज़ है तुम आओ मेरे संगीत को संगत देने के लिए Share on: